बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास
प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
अथवा
वैदिक कालीन धार्मिक जीवन की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
वैदिक कालीन धार्मिक जीवन के विविध पक्षों का अध्ययन दो शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है -
(1) ऋग्वैदिक कालीन धार्मिक जीवन
ऋग्वैदिक या पूर्ववैदिक कालीन धार्मिक जीवन के विषय में जानकारी मुख्यतः ऋग्वेद से मिलता है। धार्मिक दृष्टि से आर्य प्रकृति पूजक एवं बहुदेववादी थे। " प्रकृति की जिन शक्तियों से आर्य प्रभावित या भयभीत थे उन्हीं की पूजा करते थे। ऐसे 33 देवताओं का उल्लेख मिलता है। इनको तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है पृथ्वी के प्रतीक देवता ( पृथ्वी, अग्नि, सोम, बृहस्पति इत्यादि), वायुमण्डल के प्रतीक या अन्तरिक्षवासी देवता ( इन्द्र, वरुण, वायु, मरुत, रुद्र इत्यादि) और आकाशीय देवता या स्वर्गस्थ - (वरुण, मित्र, सूर्य, उषा, सविता, वश्विन इत्यादि)। इन देवताओं में सर्वोच्च स्थान युद्ध के देवता इन्द्र को दिया गया है। इसकी स्तुति के लिए लगभग 250 मन्त्रों की रचना की गई। इन्द्र को वर्षा एवं प्रकाश का भी देवता माना जाता था। वरुण शक्ति, नैतिकता एवं न्याय का देवता था। मित्र वरुण का सहयोगी था। अग्नि भी एक प्रमुख देवता था, जिसके सम्मान में 200 मन्त्रों या ऋचाओं की रचना हुई। वह देवताओं और मानवों के बीच सम्पर्क का काम करता था। उसी के द्वारा देवता अपना आहार प्राप्त करते थे। सोम वनस्पति का देवता था और सूर्य प्रकाश का। मरुत तूफान का देवता था और पूषन् पशुओं का देवियों में प्रमुख अदिति एवं उषा थी, परन्तु देवताओं की अपेक्षा स्त्रियों की संख्या और उनका महत्त्व कम था। समाज में पितृसत्तात्मक तत्त्वों के प्रधान होने की वजह से ही देवियों को अपेक्षाकृत कम महत्त्वपूर्ण स्थान मिला। देवताओं के अतिरिक्त प्रकृति की विभिन्न शक्तियों एवं लोकों का प्रतिनिधित्व करने वाले, जैसे भूत-प्रेत, राक्षस, अप्सरा, पिशाच आदि का भी उल्लेख मिलता है। "अज, शिग्रू, काश्यप, गौतम, मत्स्य" आदि जाति एवं व्यक्तियों के नामों से गणचिन्हात्मक आस्थाओं के प्रचलन का आभास मिलता है। ऋग्वैदिक धार्मिक जीवन की एक विशेषता यह भी है कि बहुदेववाद के बावजूद ऋग्वेद के उत्तरार्द्ध में एकेश्वरवाद की प्रवृत्ति भी देखने को मिलती है।
देवताओं और पारलौकिक शक्तियों को प्रसन्न कर उनसे अनुग्रह प्राप्त करने एवं उनके प्रकोप से -बचने के लिए आर्य विभिन्न उपाय करते थे। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए मन्त्रों का उच्चारण कर उनकी स्तुति की जाती थी तथा यज्ञाहुति दी जाती थी। समवेत स्वरों में या अकेले स्तुति ज्ञान होता था। देवताओं से मोक्ष की नहीं, बल्कि 'शतवर्षीय आयु, पुत्र, धन-धान्य और विजय की कामना की जाती थी। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ भी किए जाते थे। यज्ञ भी व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर होते थे। इन यज्ञो में घी, दूध, धान्य, माँस आदि की आहुति दी जाती थी। यज्ञ पुरोहितों की सहायता से होते थे, जिनके बदले उन्हें दान-दक्षिणा मिलती थी। दक्षिणा में गाय एवं सोना के साथ दास-दासी भी दिए जाते थे। इस समय के प्रमुख यज्ञों में ब्राह्मयज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ तथा अनेक प्रकार के नैमित्तिक यज्ञ हैं। ऋग्वेद में नरबलि के एक उदाहरण के अतिरिक्त इसका अन्य उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन यज्ञों में पशुओं की बलि अवश्य दी जाती थी। यज्ञों के साथ पारलौकिक शक्तियों के प्रकोप से बचने के लिए जादू-मन्तर, टोने-टोटके आदि का भी प्रयोग आर्य करते थे। आर्यों के देवता मानवोचित गुणों से सम्पन्न थे। उन्हें दयावान और मानवजाति का शुभेच्छु माना जाता था। आर्य जीवन के अमरत्व में विश्वास करते थे, परन्तु उन्होंने मोक्ष की प्राप्ति का कोई प्रयास नहीं किया। मन्दिरों या मूर्तिपूजा का प्रमाण नहीं मिलता।
इस प्रकार हम देखते हैं कि ऋग्वैदिक युग में आर्यों की सभ्यता कबीलाई स्वरूप की थी। चाहे राजनीतिक व्यवस्था हो, चाहे सामाजिक, आर्थिक या धार्मिक जीवन हो, सर्वत्र कबीलाई तत्त्व प्रमुख रूप से पाए जाते हैं। वस्तुतः यह आर्य सभ्यता का रचनात्मक काल था। इसी काल में सभ्यता के उन मूल तत्त्वों की स्थापना हुई, जिनका विकास हम उत्तर वैदिक काल में देखते हैं।
(2) उत्तर वैदिक कालीन धार्मिक जीवन
उत्तर वैदिक काल में आकर आर्यों के धार्मिक जीवन में व्यापक परिवर्तन देखने को मिलता है। पूर्व वैदिक काल का सीधा-साधा धर्म अब रूढ़िवादी तथा कर्मकाण्ड प्रधान बन गया। ऋग्वेद में जिन प्रमुख देवताओं को प्रधान माना जाता था, उनका स्थान अब गौण पड़ गया। उनकी जगह नए देवताओं यथा- शिव या रुद्र, विष्णु या नारायण, प्रजापति या ब्रह्मा ने ले लिया। देवताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई और उनमें से अनेक दिग्पाल, गंधर्व, यक्ष आदि के रूप में सामने आए। पितृसत्तात्मक तत्त्वों के सबल होने से उषा एवं अदिति जैसी देवियों का महत्त्व भी कम हो गया। उनकी जगह अब विभिन्न यक्षिणियों एवं अप्सराओं का आविर्भाव हुआ। देवताओं में सबसे प्रमुख स्थान प्रजापति को दिया गया। उसे विश्व का सृष्टिकर्त्ता माना गया। प्रजापति द्वारा वराह रूप में पृथ्वी धारण करने तथा कूर्म बनने की कल्पना प्रचलित हुई जिसने आगे अवतारवाद को बढ़ावा दिया। रुद्र (पशुओं का देवता), शिव या पशुपति कहलाने लगा। विष्णु पालनकर्ता के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इस प्रकार उत्तर- वैदिककाल में त्रिमूर्ति की भावना का विकास हुआ। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ही प्रमुख देवता बन गए। सामाजिक वर्गीकरण के साथ-साथ कुछ देवताओं का सम्बन्ध वर्णविशेष से स्थापित हो गया। प्रो. रामशरण शर्मा के अनुसार, उत्तर वैदिककाल में मूर्तिपूजा की प्रथा भी आरम्भ हो चुकी थी, परन्तु मूर्तिपूजा के निश्चिंत पुरातात्त्विक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। साहित्यिक स्त्रोतों में भी मूर्तिपूजा का स्पष्ट उल्लेख इस समय नहीं मिलता। यहाँ इस बात का उल्लेख किया जा सकता है कि यद्यपि मूर्तिपूजा के पुरातात्त्विक साक्ष्य नहीं मिलते हैं तथापि अतरंजीखेड़ा से प्राप्त कुछ वृत्ताकार अग्निकुण्ड और कौशाम्बी से मिली यज्ञ वेदी इन कर्मकाण्डों की पुष्टि करते हैं।
धार्मिक क्षेत्र में जो सबसे महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया, वह था पुरोहितों का प्रभाव और कर्मकाण्डों की जटिलता में वृद्धि। समाज के अनुत्पादी वर्गों ब्राह्मणों एवं क्षत्रियों ने बिना श्रम किए ही उत्पादन में हिस्सा बँटाने और समाज पर अपनी धाक एवं श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए आपस में समझौता कर लिया। ब्राह्मण अपनी धार्मिक श्रेष्ठता और क्षत्रियों के प्रभाव को बनाए रखने के लिए नए हथकण्डों का सहारा लेने लगे। इसके बदले उन्हें धन एवं प्रतिष्ठा मिली। क्षत्रिय ब्राह्मणों के संरक्षक बन गए। ब्राह्मणों ने भी धन प्राप्त करने एवं राजा की शक्ति को स्थापित और सुदृढ़ करने के लिए यज्ञों का आयोजन आवश्यक बना दिया। फलस्वरूप, इस युग में तप और भक्ति की जगह यज्ञ एवं बलि पर ज्यादा बल दिया जाने लगा। यज्ञों के सम्पादन के लिए अब पुरोहितो का सहयोग आवश्यक बन गया। चाहे यज्ञ छोटे हो या बड़े, पुरोहितों की सहायता के बिना इन्हें पूरा नहीं किया जा सकता था। ये यज्ञ बलि- प्रधान और खर्चीले थे। इन यज्ञों को सम्पादित करवाने के निमित्त पुरोहितों को बहुत अधिक दान-दक्षिणा प्राप्त होता था। साहित्यिक ग्रन्थों में इस समय जिन प्रमुख यज्ञों का उल्लेख मिलता है, वे हैं वाजपेय, राजसूय और अश्वमेध। ये सारे यज्ञ राजाओं के लिए ही सुरक्षित रखे गए। यद्यपि इन यज्ञों का उद्देश्य राजा की शक्ति और उसकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करना था, तथापि साथ-साथ इनका उद्देश्य कृषि उत्पादन को भी बढ़ाना था अतः, ब्राह्मणों और क्षत्रियों दोनों ने कर्मकाण्डों को बढ़ावा दिया। क्षत्रियों द्वारा कर्मकाण्डों को बढ़ावा देने का एक अन्य कारण यह था कि "इनके माध्यम से वे आर्य सभ्यता की सीमा पर रहनेवाले अनार्य प्रमुखों के बीच अपना प्रभुत्व बढ़ा पाते थे।” इसकी पुष्टि अथर्ववेद तथा पंचविंशब्राह्मण से होती है जहाँ मगध के व्रात्य मुखिया को वैदिक समाज में प्रवेश देने के लिए कर्मकाण्ड का आयोजन किया गया है। ये यज्ञ बहुत अधिक खर्चीले थे तथा लम्बे समय तक चलते रहते थे। यज्ञों के साथ-साथ विभिन्न संस्कारों के पालन पर भी बल दिया गया। ये संस्कार गर्भाधान से मृत्युपर्यन्त होते रहते थे। इन सभी ने पुरोहितों का प्रभाव समाज पर स्थापित कर दिया। उनकी संख्या और श्रेणियों में भी वृद्धि हुई।
उत्तर वैदिक युग में जहाँ एक तरफ यज्ञ, बलि एवं कर्मकाण्डों की प्रधानता बढ़ती जा रही थी, वहीं एक नई दार्शनिक विचारधारा का भी उदय हुआ, जिसने यज्ञों और बलियों को निरर्थक बताकर तप एवं ज्ञान का मार्ग सुझाया। इस विचारधारा ने ब्राह्मणों के कर्मकाण्ड पर गहरा आघात कर छठी शताब्दी ई.पू. के धर्मसुधार आन्दोलन की पृष्ठभूमि तैयार कर दी। आरण्यकों में यज्ञ - बलि की अपेक्षा तप के महत्त्व को बताया गया। इसके अनुसार शरीर को तपस्या द्वारा कष्ट देकर ही परमब्रह्मा या मोक्ष की प्राप्ति हो सकती थी। तपमार्ग के ठीक विपरीत उपनिषदों ने ज्ञानमार्ग का रास्ता दिखाया।
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- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
- प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
- प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
- प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
- प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
- प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
- प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
- प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
- प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
- प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
- प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
- प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
- प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
- प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
- प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।